Thursday 3 January 2013

3. For better decision ....... made yourself like Observer...

दृष्टा बनें ........


                  जब हम किसी भी दुविधा मैं फँस जाते है और विचार शक्ति ख़त्म हो जाती है तो हमें द्रष्टा बनकर देखना चाहिए और हमें निर्णय लेने मैं आसानी होगी या इस बात को यू समझे की जैसे जब कोई मकान या पुल या कोई बड़ा प्रोजेक्ट होता है तो उसका मॉडल या प्रतिरूप बनाया जाता है और विशेषज्ञ द्रष्टा बनकर उसे देखते है इससे  कमी दूर की जाती है ,दूसरा उदहारण जब हम किसी फिल्म को देखते है तो हम द्रष्टा होते है इसलिए हमें फिल्म अच्छी या बुरी लगती है ,यदि हम द्रष्टा न होकर फिल्म का हिस्सा हो तो वो हमें अच्छी ही लगेगी, जब हमें निर्णय लेने मैं कोई कठिनाई हो तो एकांत मैं बैठकर द्रष्टा बनकर पूरी घटना को ध्यान दिया जाये तो निर्णय मैं आसानी होगी ।

नरेन्द्र श्रोती (09981267488)

Thursday 27 September 2012


2. All of Situation in your hand.............

भाग्य आपके हाथ में

किस्मत आपके साथ में

निराशा मैं हम यह कहते है की यह हमारे भाग्य मैं नहीं है ,
या हमारी किस्मत मैं नहीं है परन्तु दोस्तों इस बात को मैं नहीं कहता
ऐसा कहना मुझे यू लगता है जैसे लोमड़ी के लिए अंगूर खट्टे हों 
यह तो असफलता का श्रेय भाग्य को देना हुआ न 
जबकि भाग्य स्वयं पोजिटिव है ,हाँ इसका अर्थ मैं लगाता हूँ भा -गया  जंहा यदि कोई वस्तु हमारे मन मैं भा गई या अच्छी लगी तो हम उसे पाने का प्रयास करेंगे और वो हमें हासिल हो जाएगी 
यानि भाग्य का मतलब है भा गई तो हमारे भाग्य मैं है 
एसे ही किस्मत का अर्थ किस -मत से है 
यदि आपका मत पाने का है तो वह आपकी किस्मत मैं है और यदि नहीं पाने का है तो वो आपकी किस्मत मैं नहीं है इसीलिए तो बजुर्ग कहते है की मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है .....
नरेन्द्र श्रोती (09981267488)


1. Negative and Positive is necessary But +ve is Must & First


प्राथमिक-रूप से अंतिम तक,

केवल पॉजीटिव सोच की आवश्यकता है....

                                पोजिटिव-निगेटिव, हर बार ये शब्द सामने आते हैं  ये केवल सोच के नहीं, संस्कार के है ,वातावरण के है, संसार मैं नकारात्मक और सकारात्मक दो ही बातें है जो हर जगह, हर चीज पर लागू होती हैं । मैं आपसे कोई वस्तु मांगता हूँ तो दो बाते होंगी- आप देंगे  या नहीं देंगे,  यही पोजिटिव या नेगेटिव बात है परन्तु यहाँ एक सोच और काम करती है कि, जैसे मैं एक  वस्तु को आप से मांगूगा तो आप मना नहीं करेंगे ,यह है मेरा विश्वास है और यदि आप मना भी करेंगे तो आपको बुरा लगेगा क्यूंकि आपको मालूम है की मैंने भरपूर आत्म-विश्वास से माँगा था यही पोजीटेव एनर्जी यानि धनात्मक उर्जा है, यही हमें इश्वर के सामने मांगने पर भी प्रतीत होती है यानि विश्वास पक्का होने से धनात्मक उर्जा पैदा होती है । 
                     यदि आप अपने  काम मैं विश्वास नहीं रख पा रहे है तो आप केवल प्रयोग ही कर रहे है जो शायद कभी-कभी सफल भी हो जाय मगर यह अधूरी सफलता है । आप जो भी काम करें पूरे विश्वास से धनात्मक उर्जा के साथ करें और विश्वास रखें सफलता,दौलत ,शोहरत जो भी आप चाहते है ,आपके कदमो मैं होंगी यही बात राम चरित मानस मैं भी कही है ...
जेहि कर, जेहि पर सत्य सनेहू ,सो तेहि मिळत न कछु संदेहू । 
और यही बात ओउम शांति ओउम फिल्म मैं कही है कि 
जब आप किसी को दिल से चाहते हैं तो सारी कायनात .......... 
नरेन्द्र श्रोती (09981267488)